कही-सुनी (07SEPT-25) : छत्तीसगढ़ में 14 मंत्रियों का मामला हाईकोर्ट के पाले में

रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लंबे इंतजार के बाद पिछले महीने विदेश जाने से पहले अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर तीन नए मंत्री बनाए। इससे मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री समेत 14 हो गई। मंत्रिमंडल में अधिकतम संख्या का फार्मूला लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ में पहली दफे 14 मंत्री हुए। डॉ रमन सिंह ने 13 मंत्रियों से काम चलाया और भूपेश बघेल के कैबिनेट में भी 13 मंत्री रहे। कहते हैं कायदे से विधानसभा की सदस्य संख्या के अनुपात में 15 फीसदी से अधिक मंत्री नहीं होने चाहिए। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 विधायक हैं ऐसे में 13.5 मंत्री होने चाहिए। भूपेश बघेल के कार्यकाल तक साढ़े 13 को 13 मानकर मंत्री रखे गए। विष्णुदेव साय ने हरियाणा फार्मूला लागू कर साढ़े तरह को 14 मानकर कैबिनेट बना लिया। पहले तो इस पर कांग्रेस ने आपत्ति की। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने राज्यपाल रमेन डेका को पत्र लिखकर एक मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की। इसके बाद बासु चक्रवर्ती और अन्य कुछ सामाजिक कार्यकर्ता 14 मंत्री के मुद्दे पर बिलासपुर हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार कर सुनवाई शुरू कर दी है। अब गेंद कोर्ट के पाले में हैं। कोर्ट क्या फैसला देता है, इसका सबको इंतजार है। पर फैसला आने तक तो राज्य में मुख्यमंत्री सहित 14 मंत्री रहेंगे। हाईकोर्ट से मामला सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है। इसलिए जल्दी कुछ होगा, इसकी उम्मीद कम ही लग रही है।
अब क्या हर मंत्री का ‘सदन’ बनेगा ?
आमतौर पर छत्तीसगढ़ में जो भी मुख्यमंत्री रहा, अपने विधानसभा के लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए एक सदन बनवा लिया। अजीत जोगी ने ‘मरवाही सदन’ बनवाया, तो डॉ रमन सिंह ने ‘राजनांदगांव सदन’। भूपेश बघेल ने ‘पाटन सदन’ बनवाया। वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के राज में ‘कुनकुरी सदन’ चल रहा है, क्योंकि विष्णुदेव साय कुनकुरी से विधायक हैं। कहते हैं मुख्यमंत्री की देखा-देखी उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने ‘कवर्धा सदन’ की नींव रख दी है। राज्य निर्माण के 25 साल में पहली दफे मुख्यमंत्री के अलावा किसी अन्य मंत्री ने अपने विधानसभा के नाम सदन की परंपरा डाली है। इस कारण चर्चा चल पड़ी है कि क्या अब छत्तीसगढ़ में प्रत्येक मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र के नाम से एक सदन चलाएंगे। राज्य के कई मंत्री अपने बंगले से ही अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों की सेवा करते हैं। इसमें इलाज करवाने से लेकर उनकी अन्य समस्याओं का समाधान करने की व्यवस्था करते हैं। वैसे गृह मंत्री विजय शर्मा का ‘कवर्धा सदन’ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक ट्वीट से चर्चा में हैं। भूपेश बघेल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि विजय शर्मा के ‘कवर्धा सदन’ के निर्माण में लगे एक कैदी फरार हो गया है। भूपेश बघेल ने ट्वीट में और भी कई सवाल उठाए हैं। विजय शर्मा जेल विभाग के भी मंत्री हैं। पहली बार की विधायकी में ही विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री की ताजपोशी का तेज दौड़ अब क्या रंग लाता है, देखना होगा ?
चौबे जी को दांव उलटा पड़ा
एक कहावत है ‘चौबे जी चले छब्बे बनने,दुबे बनकर लौटे’, ऐसा ही कुछ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे जी के साथ हो गया। रविंद्र चौबे ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने का बयान देकर कांग्रेस में हलचल मचा दी, पर साथ में खुद घिर भी गए। चर्चा है कि रविंद्र चौबे का भूपेश बघेल प्रेम दुर्ग जिले की राजनीति के कारण उपजा और 2018 से 2023 के बीच भूपेश बघेल का रविंद्र चौबे के प्रति अहसान। अपने बयान से घिरे रविंद्र चौबे को पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज की शरण में आखिर जाना पड़ा, पर रविंद्र चौबे जैसे चतुर राजनीतिक खिलाड़ी का धारा के विपरीत बहना चर्चा का विषय है। रविंद्र चौबे के बयान के बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत भी हमलावर हो गए और चमचों को संभालने की नसीहत दे डाली। चर्चा है कि भूपेश बघेल का खेमा न तो बैज को पसंद कर रहा है और न ही महंत को। यह खेमा भूपेश बघेल को कमान सौंपकर उमेश पटेल को नेता प्रतिपक्ष बनाने के पक्ष में है। अब रविंद्र चौबे पीसीसी अध्यक्ष की मौजूदगी में कुछ भी कहें, कुछ तो खिचड़ी पक रही थी। धुआं तो तभी उठता है, जब आग जलाने की कोशिश होती है।
मजबूत हुए आईएफएस अरुण पांडे
1994 बैच के आईएफएस अरुण पांडे को पीसीसीएफ वन्यप्राणी के साथ योजना और बजट का प्रभार दिया गया है। दोनों प्रभार मिलने से अरुण पांडे को वन विभाग का मजबूत अफसर माना जा रहा है। आईएफएस सुधीर अग्रवाल के 31 अगस्त को रिटायर होने के बाद पीसीसीएफ वन्य प्राणी का पद रिक्त हो गया था। पीसीसीएफ वन्य प्राणी के लिए कई अफसर दावेदार थे। वन विभाग में हाफ ( हेड आफ फारेस्ट ) के बाद पीसीसीएफ वन्य प्राणी को मुख्य पद माना जाता है। वन विभाग के वर्तमान मुखिया वी श्रीनिवास राव के रिटायरमेंट के बाद अरुण पांडे को हेड आफ फारेस्ट का मुख्य दावेदार माना जा रहा है। श्रीनिवास राव 2026 में रिटायर होंगे। अरुण पांडे से कई वरिष्ठ भी 2026 में रिटायर हो जाएंगे। अरुण पांडे 2027 में रिटायर होंगे।
कौन बनेगा छत्तीसगढ़ का अगला सीएस ?
छत्तीसगढ़ के अगले मुख्य सचिव को लेकर कुहासा छंट नहीं पा रहा है। मुख्य सचिव अमिताभ जैन की सेवावृद्धि अवधि इस महीने समाप्त हो जाएगी। परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया है। वही दावेदार मैदान में हैं। छत्तीसगढ़ में पदस्थ अफसरों में से सीएस बनाया गया तो सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ आगे चल रहे हैं। दिल्ली से भेजा गया तो अमित अग्रवाल और विकासशील का नाम है। भारत सरकार ने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन को एक साल की सेवावृद्धि दे दी है, ऐसे में भारत सरकार की नजर में कोई अफसर समझ में नहीं आया तो फिर अमिताभ जैन की लाटरी लगने की संभावना है। माना जा रहा सीएस की नियुक्ति दिल्ली पर ही निर्भर करेगा।
कौन होगा मुख्यालय महामंत्री
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने नई कार्यकारिणी में महामंत्री संगठन के अलावा तीन महामंत्री बनाए हैं। इनमें यशवंत जैन, अखिलेश सोनी और नवीन मार्कण्डेय हैं। महामंत्री संगठन पवन साय हैं। कहते हैं कि नई टीम में मुख्यालय की कमान किस महामंत्री को मिलने वाला है, इसको लेकर लोगों में भारी उत्सुकता है। चर्चा है कि महामंत्री मुख्यालय बनने के लिए यशवंत जैन और अखिलेश सोनी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। मुख्यालय महामंत्री के हस्ताक्षर से ही कई आदेश जारी होते हैं और महामंत्री मुख्यालय पार्टी दफ्तर के केंद्र में रहता है। इस कारण महामंत्री मुख्यालय को अहम पद माना जाता है। अब देखते हैं यशवंत जैन के हाथ बाजी लगती है या अखिलेश सोनी के, या फिर जैन-सोनी के द्वंद्व में नवीन मार्कण्डेय की किस्मत चमकती है। वैसे प्रचार युद्ध में तो अखिलेश सोनी आगे नजर आ रहे हैं। सरगुजा संभाग के रहने वाले अखिलेश सोनी के काफी होर्डिंग्स राजधानी में नजर आ रहे हैं।
दो आईजी की संविदा नियुक्ति चर्चा में
कहते हैं सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक बी एस ध्रुव और एस सी द्विवेदी की संविदा नियुक्ति चर्चा में है। एस सी द्विवेदी 2003 बैच के प्रमोटी आईपीएस हैं और इस साल अप्रैल में रिटायर हुए हैं। बी एस ध्रुव 2006 बैच के प्रमोटी आईपीएस हैं। वे पिछले साल रिटायर हुए। सरकार ने दोनों को एक-एक साल की संविदा नियुक्ति देकर पुलिस मुख्यालय में ओएसडी बनाया है। अब ये दोनों क्या काम करेंगे, इसको लेकर सुगबुगाहट है। क्योंकि डीजी के पद पर बहाल होने के कई महीनों बाद भी सरकार ने जी पी सिंह को अब तक कोई प्रभार नहीं दिया है। कई आई जी और डीआईजी स्तर के पुलिस अफसर सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं। वैसे कहा जा रहा है साय की सरकार प्रमोटी आईपीएस अफसरों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। कई बड़े जिलों की कमान प्रमोटी आईपीएस अफसरों के हाथों ही है।
प्रमोशन आदेश के इंतजार में इंस्पेक्टर
कहते हैं 46 इंस्पेक्टरों का डीएसपी के पद पर प्रमोशन आदेश जारी होते-होते रुक गया। चर्चा है कि अब तक प्रमोशन के बाद डीएसपी के पद पर गृह मंत्री के दस्तखत से आदेश जारी हो जाता था, लेकिन इस बार सीएम के दफ्तर ने प्रमोशन के बाद पोस्टिंग की फाइल तलब कर ली। करीब डेढ़ महीने से प्रमोशन आदेश पर ब्रेक लगा हुआ है। बताते हैं खाली पदों की तलाश की जा रही है। अब कब तक खाली पद तलाशें जाएंगे और प्रमोशन आदेश जारी होगा, यह भगवान ही जानें। खानापूर्ति, या कहे पुख्ता काम होते तक, तो बांट जोहना ही पड़ेगा।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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