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डीजे धुमाल प्रतिबंधित हुआ तो पारंपरिक बाजे गाजे और ढोल नगाड़ों के साथ निकली विसर्जन यात्रा

० गणपति बप्पा मोरिया.. नम आंखो से भक्तों ने बप्पा को विदाई

गरियाबंद। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और जिला प्रशासन की सख्ती का असर मंगलवार को गणेश विसर्जन के दौरान जमकर देखने को मिला। अचानक से डीजे धूमाल के उपयाेग में प्रतिबंध लगाने के चलते भक्तजनों और समितियों ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ विसर्जन यात्रा निकाली। बाजे गाजे और ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते भक्त गणेश प्रतिमाओं को विसर्जन स्थल छिंद तालाब तक लेकर पहुंचे। जहां विधिवत पूजा अर्चना कर प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के बाद यह पहला अवसर तथा गणेश विसर्जन यात्रा बिना डीजे और धूमाल के निकली गई। वहीं डीजे और धूमाल में प्रतिबंध होने के कारण इस बार नगर में झांकी प्रतियोगिता का भी आयोजन नहीं हुआ। जिसके चलते समितियों मासूमी देखी गई। ज्ञात हो की जिले में बीते 15 वर्षो से लगातार जिला मुख्यालय में झांकी प्रतियोगिता का आयोजन होता रहा है। लेकिन कोर्ट के निर्देश और प्रशासन की सख्ती ने इस धार्मिक आयोजन के उत्साह में ही पानी फेर दिया। आश्चर्य की बात है की सुप्रीम कोर्ट के चार साल पुराने निर्देश का देश के अन्य राज्यों में कहीं असर नहीं दिखा। सभी जगह डीजे धूमाल की धूम रहीं।

इधर, विसर्जन के दौरान प्रतिबंध को लेकर समितियों ने अपना विरोध भी जताया। वाहन में अनेक पोस्टर चिपकाए थे। जिसमें इस निर्णय को लेकर कोर्ट और सरकार को आड़े हाथ लिया। एक समिति ने लिखा कि छत्तीसगढ़ में डीजे बंद है, लेकिन उससे जानलेवा शराब में प्रतिबंध नहीं। डीजे धुमाल बंद करना है तो शराब और नशीले पदार्थ की बिक्री भी बंद करें। तो एक समिति ने लिखा कि प्रशासन भगवान से बड़ा हो गया है। वही एक अन्य समिति ने डीजे से लोगों की मौत होती है शराब से चमत्कार होता है का स्लोगन लिख रहा था। इसके अलावा सभी ने इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे भी तख्ती में लिख रखे थे। दूसरी ओर विसर्जन के दौरान डीजे संचालकों के चेहरे में मायूसी की लहर देखने को मिली। वहीं बाजे गाजे वालों की किस्मत चमक गई। समिति वालों को खोज खाज के मन मर्जी किराया देकर उन्हें लाना पड़ा।

इसके पहले मंगलवार को भक्तों ने नम आंखो से गणपति बप्पा को विदाई दी। नगर में सुबह से नगर में गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का सिलसिला शुरू हो गया था। नगर के विभिन्न चौक चौराहों और वार्डो में स्थापित गणेश मूर्तियां क्रमश एक एक बाजे गाजे के धुन में विसर्जन के लिए निकली। इस दौरान भक्त रंग और गुलाल उड़ाते और ढोल नगाड़े के थाप में जमकर थिरकते नजर आए। सभी ने तिरंगा चौक की परिक्रमा की। यहां जमकर आतिशबाजी की गई। जिसके बाद नगर के विभिन्न स्थानों में विराजित गणेश प्रतिमा का स्थानीय छिंद तालाब में विसर्जन किया गया। इसके अलावा घरों में भी विराजित प्रतिमा का छिंद तालाब में विसर्जन हुआ। नागा पालिका परिषद द्वारा विसर्जन हेतु क्रेन मशीन की व्यवस्था की गई थी। भक्तो गणेश जी अंतिम विदाई देने के पहले उनकी विधिवत पूजा अर्चना की और सुख समृद्धि का आशिर्वाद मांगा।

सिन्हा परिवार ने गणपति स्थपाना के पूर्ण किए 52वा वर्ष

इधर, नगर के पुराना मंगल बजार स्थित सिन्हा परिवार ने भी छिंद तालाब में प्रतिमा विसर्जित की। मालूम हो कि सिन्हा परिवार द्वारा गणपति स्थापना का यह 52वाँ वर्ष था। विसर्जन के अवसर पर परिवार की बुजुर्ग महिला धरमीन बाई सिन्हा, बुद्धि देवी सिन्हा, लक्ष्मी सिन्हा, रेणुका सिन्हा, भारती सिन्हा, मोनिका सिन्हा एवं लीना वंदना सहित पूरा परिवार मौजूद था। परिवार ने कहा की 52 वर्ष पूर्व परिजनों ने इस परंपरा की शुरुवात की थी। आज हम सब उसे निभा रहे है।

इस अवसर पर नगर के तिरंगा चौक सिद्धिनायक, बाजार लाइन स्टार युवा गणेश, सिविल लाइन, संतोष मंदिर, हाई स्कूल मार्ग, पुराना मंगल बाजार, बजरंग चौक, यादव पारा, सुभाष चौक, डाक बंगला, शिक्षक नगर, रावणभाटा, शिव मन्दिर चौक, पुराण फॉरेस्ट नाका, पैरी कॉलोनी सहित विभिन्न वार्डों और चौक चौराहों में विराजित गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया गया।

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