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बाघ अभयारण्यों के कोर क्षेत्रों से विस्थापन के विरोध में आदिवासी समाज ने उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व कार्यालय का किया घेराव

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० विस्थापन आदेश वापस लेने की मांग



गरियाबंद। NTCA द्वारा देशभर में बाघ अभयारण्यों के कोर क्षेत्रों में निवासरत लोगों व समुदायों के विस्थापित करने और विस्थापन को लेकर समयबद्ध कार्य योजना बनाने के प्रस्ताव के विरोध में बुधवार को आदिवासी समाज ने उदन्ती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र कार्यालय का घेराव किया। समाज ने शासन प्रशासन से प्रस्ताव वापिस लेने की मांग की। समाज ने इसे कानून और संरक्षण की भावना का उल्लंघन बताया है।

ज्ञात हो की दिनांक 19 जून 2024 को NTCA (एनटीसीए थानी राष्ट्रीय बाघ संरक्षक प्राधिकरण) द्वारा एक पत्र जारी किया गया, जिसमें 19 राज्यों (जहाँ बाध कि उपस्थिति दर्ज हैं) के चीफ वाइल्डलीफ वार्डेन को बाघ अभयारण्यों के कोर क्षेत्रों में निवासित लोगों व समुदायों को प्राथमिकता के आधार पर विस्थापित करने, विस्थापन को लेकर समयबद्ध कार्य योजना बनाने और इन विस्थापन की प्रगति की नियमित समीक्षा करते रहने का निर्देश दिया गया है।

NTCA के पत्र के अनुसार 54 बाघ अभ्यारण्यों के कोर क्षेत्रों या क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट्स के अंदर 848 गांवों के लगभग 89,808 परिवार रहते है। गौरतलब है कि यह 89,808 परिवार जो कि आदिवासी और अन्य वनवाश्रित समुदायों से हैं और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (2006 में संशोधठ) के अनुसार एवं वन अधिकार अधिनियम 1972 (2006 में संशोधत) के तहत वन अधिकारों के हकदार है। इसमें से, प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत के बाद से 257 गांवों में रह रहे 25,007 परिवारों को अभी तक विस्थापित कर दिया गया है और 64801 परिवारों वाले 591 गांव अभी भी अधिसूचित कौर (Notified Core) के अंदर रहते हैं। NTCA द्वारा जारी आदेश में 54 बाघ अभयारण्यों के कोर क्षेत्रों से इन 591 गांवों के 64801 परिवारों के शीघ्र विस्थापन और पुनर्वास का निर्देश दिया गया है।

समाज ने कहा कि एनटीसीए द्वारा वन-आश्रित समुदायों के विस्थापन के निर्देश को लेकर उठाए गए कदम अत्यंत भयावह और चिंताजनक है। NTCA द्वारा पत्र में आदिवासी, अन्य वनआश्रित समुदायों और अन्य समुदायों के कानूनी और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए वन भूमि और जंगल पर आश्रित वन समुदायों के बड़े पैमाने पर बेदखली, अलगाव और विस्थापन का निर्देश दिया गया है। NTCA द्वारा लिए गए कदम, वन आश्रित समुदायों को आर्थिक और सामाजिक असुरक्षाओं के भविष्य में धकेल देंगे और इन परिहश्यों के पर्यावरण-सांस्कृतिक ताने-बाने को भी बाधित करेंगे।

इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम, जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम, उमेंद्री कोर्राम, नरेंद्र ध्रुव, मनीष ध्रुव सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।