० फुलझर के ऐतिहासिक दुर्ग पर विराजित है माँ रामचंडी देवी का भव्य मंदिर
दिलीप गुप्ता
सरायपाली। फूलझर अंचल के ग्राम गढ़फुलझर से लगे प्राचीन एवं ऐतिहासिक दुर्ग पर स्थित माँ रामचंडी मंदिर में शारदीय नवरात्र का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रथम दिवस से ही माँ रामचंडी का दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त पंहुच रहे हैं।रामचंडी मंदिर में वैसे तो बारहों महीने श्रद्धालुओं की चहल-पहल रहती है मगर नवरात्र पर्व में भक्तो की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा रहती है। इस संबंध में बिसासहे कुल कोलता समाज के रायपुर संभागीय अध्यक्ष गिरधारी साहू ने जानकारी देते हुवे बताया कि पूरे 9 दिनों तक हवन, पूजन, आरती के साथ भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।प्रथम दिवस से ही माँ रामचंडी का दर्शन करने बड़ी संख्या में भक्त पंहुच रहे हैं। प्रथम दिवस कलश एवं चुनरी यात्रा निकाली गई। आस्था के ज्योत प्रज्वलित कर लोगों के सुख समृद्धि के लिए विशेष पूजा अर्चना की गई। नवरात्र में प्रतिदिन भक्तों के लिए प्रसाद का वितरण किया जायेगा। जिसमें ठाकुरपाली शाखा सभा के सहयोग के लिए अन्य शाखा सभा द्वारा सहयोग किया जा रहा है।
1994 से प्रारंभ हुआ मंदिर का निर्माण कार्य
माँ रामचंडी देवी फुलझर अंचल में बड़ी संख्या में निवासरत कोलता समाज की आराध्य देवी है। मगर यह मंदिर आज हर समाज, हर वर्ग के लिए आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र बन चुका है। बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज के संरक्षक हरिचरण प्रधान ने बताया कि माँ रामचंडी मंदिर का निर्माण 1994 को प्रारंभ किया गया जिसका प्राण प्रतिष्ठा 2001 में हुआ। यह फूलझर अंचल का एकमात्र रामचंडी देवी का मंदिर है। प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के लिये जिस शक्ति स्वरुपा देवी की पूजा की वही शक्ति स्वरूपा देवी मां रामचंडी गढ़ फुलझर में विराजित होकर पूजा पा रही हैं।
आकर्षक कलाकृतियों से सुसज्जित है माता का दरबार
मां रामचंडी देवी का मंदिर एक पहाड़ी नुमा किले पर स्थित है। जहां करीब सवा 5 फुट ऊँची देवी की भव्य प्रतिमा स्थापित है। मां का दर्शन करने के लिए मुख्य द्वार से करीब सवा सौ सीढ़ियाँ चढ़ना पड़ता है। मंदिर के मुख्य द्वार एवं गर्भ गृह के चारों ओर आकर्षक कलाकृतियां बनाई गई है। मंदिर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने बजरंगबली एवं शिव पार्वती की अर्धनारीश्वर की विशाल प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के बगल में ही रणेश्वर मंदिर निर्माणाधीन है।
अन्य समाज के लोग भी जला रहे हैं मनोकामना ज्योत
मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष चंद्रकांत भोई ने बताया कि यहां शारदीय नवरात्र के दौरान भक्तों द्वारा बड़ी संख्या में आस्था के ज्योत प्रज्वलित किए जाते हैं। यहां कोलता समाज के साथ साथ अन्य समाज के लोग भी मनोकामना ज्योत प्रज्वलित करवाते हैं। नवरात्र में अन्य समाज के लोग भी बड़ी संख्या में देवी के पूजन कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। इस वर्ष मंदिर में 3500 मनोकामना ज्योत जलाए जा रहे हैं। मान्यता है कि मां का दर्शन करने एवं मनोकामना ज्योत प्रज्वलित कराने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। इसलिए मां के दरबार में भक्तों एवं ज्योत की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है।
प्रतिदिन होंगे विभिन्न कार्यक्रम
मंदिर पुजारी प्रमोद प्रधान ने बताया कि मंदिर में प्रतिदिन हवन, पूजन के साथ-साथ भण्डारा का आयोजन रखा जा रहा है। जिसमें हजारों लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा शाम 4 से 7 बजे तक प्रतिदिन भजन कीर्तन एवं आरती कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। 16 अक्टूबर को रामचंडी दिवस के दिन महाभंडारा रखा गया है।
पर्यटन स्थल के रूप में हो रहा विकसित
बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज के अध्यक्ष गिरधारी साहू ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति आश्विन शुक्ल चतुर्दशी 16 अक्टूबर को भव्य रूप से रामचंडी दिवस मनाया जाएगा जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को आमंत्रित किया गया है। आमंत्रण सहर्ष स्वीकार करते हुए आने की सहमति प्रदान की है। संभागीय मीडिया प्रभारी कमलेश साहू ने बताया कि मंदिर परिसर के चारों ओर प्राकृतिक रूप से हरियाली बिखरी हुई है जो इस परिसर को और भी आकर्षण प्रदान करती है ।फुलझर की प्राचीन भैना राजवंश कालीन ऐतिहासिक किले पर विराजित मंदिर का मनोरम दृश्य देखते ही बनता है। यहां का विहंगम दृश्य लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ मानसरोवर एवं रानीसागर तालाब , भोग शाला, यज्ञ शाला, मंदिर परिसर में ही ज्योत कक्ष, समीप में नर्सरी, बजरंगबली एवं महादेव पार्वती की अर्धनारीश्वर की विशाल प्रतिमा आदि दर्शनीय स्थल है। मंदिर परिसर प्राचीन परकोटे से घिरा है। लोगों को अपने अतीत की गौरवशाली इतिहास से अवगत कराते हैं। फुलझरवासी यहां आकर अपने आप को गौरवन्वित महसूस करता है। गढ़ फुलझर स्थित रामचंडी मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है।