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कही-सुनी ( 15 OCT-23): रविवार को आ जाएगी कांग्रेस की सूची

रवि भोई की कलम से

कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रत्याशियों की पहली सूची नवरात्र के पहले दिन रविवार 15 अक्टूबर को आ जाएगी। पहली सूची में पहले चरण के चुनाव वाले सीटों के 20 उम्मीदवारों के नाम होंगे या फिर 40-45 प्रत्याशियों के, इसी पर कयास लगाया जा रहा है। चर्चा है कि किसी तरह के विवाद को टालने के लिए पहले 20 लोगों और मंत्रियों की सीटों की घोषणा कर दूसरी लिस्ट में सभी सीटों के प्रत्याशियों के नाम आ जाएंगे। कहा जा रहा है कि अधिकतर सीटों के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार तय कर लिए हैं। कितने विधायकों की टिकट कटेगी, इस पर भी कयासबाजी चल रही है। चर्चा है कि बृहस्पति सिंह,विनय जायसवाल,रामकुमार यादव, चंद्रदेव राय और देवेंद्र यादव समेत 15-20 विधायकों की टिकट कट सकती है। कहा जा रहा है टिकट से वंचित कुछ विधायक आप की तरफ जा सकते हैं। माना जा रहा है कि असंतुष्ट कांग्रेसियों पर जोगी कांग्रेस की भी नजर है।

रमन के नामांकन में अमित शाह की मौजूदगी के मायने

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह 16 अक्टूबर को राजनांदगांव के प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करेंगे। नामांकन के पहले सभा में केंद्रीय गृहमंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता अमित शाह की मौजूदगी में कार्यक्रम को अहम घटना मानी जा रही है। रमन के नामांकन में अमित शाह की मौजूदगी को एक बड़ा संदेश माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि रमन के नामांकन में अमित शाह के आने से साफ़ हो जाएगा कि हाईकमान ने उन्हें राज्य का बड़ा नेता माना है और सत्ता में आने पर कमान मिल सकती है। रमन के भविष्य को लेकर चिंतित लोगों को भी झटका लग सकता है। वैसे तो डॉ रमनसिंह ने चार बार पर्चा मुख्यमंत्री की हैसियत से भरा है। इस बार वे सामान्य विधायक के रूप में पर्चा भरेंगे।

भाजपा में आयातित और पुराने अफसरों के बल्ले-बल्ले

भाजपा ने इस बार दूसरे दलों से आए लोगों और पुराने अफसरों पर जबरदस्त कृपा बरसाई है। जोगी कांग्रेस से आए धर्मजीत सिंह को तखतपुर और आम आदमी पार्टी से आए रोहित साहू को राजिम से टिकट मिल गई है। चर्चा है कि जोगी कांग्रेस से इसी 6 अक्टूबर को भाजपा प्रवेश करने वाले योगेश तिवारी को बेमेतरा से पार्टी प्रत्याशी बनाने जा रही है। कहते हैं योगेश के शक्ति प्रदर्शन से भाजपा के बड़े नेता गदगद हो गए हैं और जीतने वाला उम्मीदवार मान रहे हैं। भाजपा ने पुराने अफसरों में ओपी चौधरी को रायगढ़ और नीलकंठ टेकाम को केशकाल से प्रत्याशी बनाया है। खबर है पुराने अफसर एसएसडी बड़गैया को बेलतरा से भाजपा की टिकट मिल सकती है।

सरकार के प्रस्ताव को आयोग ने बदला

कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार ने चुनाव आयोग को बिलासपुर कलेक्टर के लिए पैनल में भीमसिंह का नाम भेज दिया था, जबकि भीमसिंह कुछ समय के लिए बिलासपुर संभाग के कमिश्नर रह चुके थे। सरकार ने कलेक्टरों के लिए पैनल में कार्तिकेय गोयल को बिलासपुर और अवनीश शरण को रायगढ़ के लिए प्रस्तावित किया था, जिसे चुनाव आयोग ने बदल दिया। आयोग ने अवनीश शरण को बिलासपुर और कार्तिकेय गोयल को रायगढ़ का कलेक्टर बना दिया। सरकार ने भूपेश राज में कलेक्टर रह चुके कुछ और आईएएस के नाम भी कलेक्टर के लिए आयोग को भेजा था, जिनमें से अवनीश और कार्तिकेय के नाम पर मुहर लगी। खबर है कि एमडी मार्कफेड के लिए दो आईएएस के नाम भेजे गए थे, जिसमें इफ़्फ़त आरा के नाम पर आयोग ने सहमति दी।

पुराने वोट बैंक से भाजपा की दूरी

चर्चा है कि ओबीसी को साधने के फेर में भाजपा ने इस बार अपने पुराने वोट बैंक से किसी को अब तक राज्य में प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सिंधी और गुजराती समाज को भाजपा का परंपरागत मतदाता माना जाता है। 2018 के चुनाव में भाजपा ने सिंधी समाज से एक और गुजराती समाज से एक-एक प्रत्याशी खड़ा किया था। यह अलग बात है कि दोनों चुनाव हार गए। भाजपा ने 2008 में गुजराती समाज के देवजी भाई पटेल और दीपक पटेल को चुनाव लड़ाया था और दोनों जीत गए थे। भाजपा ने इस बार ओबीसी वर्ग से सेन, कलार, अघरिया और यादव समाज के प्रतिनिधि को टिकट देकर उन्हें साधने का काम किया है। साहू और कुर्मी समाज के कई लोगों को भी टिकट दी गई है। निषाद समाज से किसी को टिकट देने की बात चल रही है।

हट सकते हैं कुछ और कलेक्टर और एसपी

माना जा रहा है कि चुनाव आयोग कुछ और कलेक्टर और एसपी बदल सकता है। कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते एक्शन की उम्मीद है। चर्चा है कि दो बड़े जिले के कलेक्टर और एक बड़े जिले के एसपी को बदला जा सकता है। खबर है कि बस्तर संभाग के एक कलेक्टर के बारे में भी चुनाव आयोग को लगातार निगेटिव रिपोर्ट मिल रही है। बताते हैं कि भाजपा के जमीनी नेता उनके रुख से असहज हैं और शिकायत कर रहे हैं। अब देखते हैं आयोग क्या कदम उठाता है।

कलेक्टर-एसपी हटाने में श्रेय की होड़

कहते हैं भाजपा नेताओं में कलेक्टर-एसपी को हटाने के मामले में श्रेय लेने की होड़ लग गई है। चुनाव आयोग ने पिछले दिनों दो कलेक्टर और तीन एसपी को शिकायत के आधार पर हटा दिया। यह सही है कि पिछले महीने जब मुख्य चुनाव आयुक्त रायपुर आए थे, तब भाजपा की टीम ने कुछ कलेक्टर -एसपी और प्रशासनिक अफसरों की शिकायत की थी। श्रेय लेने वालों में असली शिकायतकर्ता का नाम नदारद है,शिकायत नहीं करने वाले ज्यादा ताली पीट रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा के एक प्रत्याशी चुनाव प्रचार की जगह कलेक्टर को हटवाने के श्रेय के प्रचार में लग गए हैं। खबर है कि भाजपा के एक नेता अपने रिश्तेदारों को पार्टी पदाधिकारी बताकर, उनके नाम से प्रशासनिक अफसरों की शिकायत की मुहिम में लगें हैं। अब चुनाव का मौसम है तो बहती गंगा में डुबकी लगाने की कोशिश तो होगी ही।

डैमेज कंट्रोल में लगे नेताओं को खरी-खरी

कहते हैं 85 प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद डैमेज कंट्रोल में लगे भाजपा नेताओं को टिकट से वंचित नेता और नाराज कार्यकर्ता खूब खरी खोटी सुना रहे हैं। चर्चा है कि असंतुष्ट लोग कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के लोग बासी खाने के आदि है, इसलिए उनके रुख के बारे में अभी कुछ पता नहीं चलेगा। तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम में झलकेगा। खबर है कि टिकट से वंचित कुछ भाजपा नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं तो कुछ दूसरे दलों की तरफ रुख कर रहे हैं। माना जा रहा है कि बागियों को भाजपा नेता मना नहीं पाए तो पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है।

बोलकर फंसे अरुण वोरा

कहते हैं दुर्ग के विधायक और कांग्रेस नेता अरुण वोरा स्कूली बच्चों से वादा कर चुनाव आचार संहिता के फेर में फंस गए। साफ दिल वाले अरुण वोरा को बच्चों की परेशानी सहन नहीं हो सकी और स्कूल बिल्डिंग ठीक कराने का वादा कर दिया। चुनाव घोषणा के बाद यह वादा आचार संहिता के दायरे में आ गया और प्रशासन से उन्हें नोटिस मिल गई। वोरा जी ने नोटिस का जवाब तो दे दिया है, अब प्रशासन का फैसला आना है। उम्मीदवार घोषित नहीं हुए हैं और अरुण वोरा के गले चुनाव आचार संहिता का फंदा आ टपका। कहते हैं भाजपा प्रत्याशी विजय शर्मा को भी आचार संहिता के उल्लंघन की नोटिस मिल गई है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

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