बिलासपुर। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 160 असिस्टेंट प्रोफेसर को ग्रेड पे का लाभ नहीं देने पर राज्य शासन को अंतरिम राहत के तौर पर 50% ग्रेड पे एरियर्स के रूप में देने का आदेश दिया है। साथ ही 6 सप्ताह में राज्य शासन से जवाब मांगा है। 160 असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने याचिका दायर कर बताया था कि उनके सालों बाद भर्ती होने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर्स को ग्रेड पे का लाभ दिया जा रहा है जबकि उन्हें नहीं।
राज्य सरकार ने 30 मार्च 2010 के नियमानुसार सहायक प्राध्यापकों के लिए ग्रेड पे का प्रावधान किया था। जारी आदेश के तहत नियमित सेवा के चार वर्ष बाद पीएचडी उपाधि धारकों को 7 हजार रुपए ग्रेड पे देने का उल्लेख किया गया था। वही प्रावधानों में एमफिल वालों के लिए उक्त अवधि 5 वर्ष व अन्य के लिए 6 वर्ष रखी गई थी। वर्ष 2012 से प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में पदस्थ करीब 160 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को राज्य शासन के प्रावधानों के नियमानुसार ग्रेड पे का लाभ नहीं दिए जा रहा था। इसके खिलाफ उन्होंने अलग-अलग अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में 16 याचिकाएं दायर की थी।
याचिका में उन्होंने बताया कि राज्य शासन ने साल 2010 में ग्रेड पे देने के प्रावधान नियम बनाए हैं। जिसके तहत याचिका कर्ताओं को इसका लाभ मिलना था। राज्य शासन ने उन्हें ग्रेड पे से वंचित रखा है। जबकि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से मई 2019 को 878 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के बाद योग्य और चयनित सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति प्रदेश भर के सरकारी कॉलेज में की गई है। चयन के समय छत्तीसगढ़ शासन के 30 मार्च 2010 के प्रावधानों के नियमानुसार सहायक प्राध्यापकों के लिए ग्रेड पे का प्रावधान किया गया था। जबकि पुराने सहायक प्राध्यापकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।