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सफलता की कहानी : गौठान को बनाया कर्मभूमि, महिलाएं कर रहीं जैविक खाद तैयार

० एकता, नारी शक्ति, सरस्वती गौठान में आजीविका गतिविधि से जुड़ी

जांजगीर चांपा। कामयाबी एक दिन में नहीं मिलती, इसके लिए दिनरात मेहनत करनी पड़ती है, और जब मेहनत रंग लाती है, तो फिर कामयाबी के पथ पर अग्रसर होकर आगे बढ़ जाते हैं, ऐसा ही पासीद गौठान के समूह हैं, जिन्होंने राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से जुड़ने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वर्मी कम्पोस्ट एवं आजीविका गतिविधियों से जुड़कर अपने आपको सक्षम बनाते हुए गौठान को अपनी कर्मभूमि बना लिया।

सक्ती जिले की जनपद पंचायत सक्ती के ग्राम पंचायत पासीद की एकता समूह जब गौठान से जुड़ी तो उनको लगा कि अगर कुछ करने की ललक हो तो उसे पूरा किया जा सकता है फिर नहीं हो पाएगा शब्द धीरे-धीरे दूर हो जाता है। ऐसा ही समूह की महिलाओं के साथ भी हुआ उन्हें योजना से मिले अच्छे प्रशिक्षण एवं उनके खुद के मनोबल से कामयाबी मिलने लगी। समूह की अध्यक्ष श्रीमती सरोजबाई बताती हैं कि ग्राम गौठान पासीद में समूह के सदस्य द्वारा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन कार्य किया जा रहा है। हालांकि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के पहले लगा कि यह उनसे नहीं हो पाएगा, लेकिन उन्हें लगातार प्रेरित किया गया, जिससे वह यह कार्य करने में सक्षम हो सकी। वह बताती हैं कि समूह द्वारा योजना से 1 हजार 7 क्विंटल गोबर की खरीदी की, जिससे 500 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन करते हुए खाद का विक्रय किया। इससे समूह को लाभांश के रूप में 1 लाख 90 हजार रूपए प्राप्त हुए। गौठान में इसके अलावा नारी शक्ति स्व सहायता समूह द्वारा आजीविका गतिविधि मुर्गीपालन से स्वरोजगार पाकर आर्थिक स्थिति सुदृढ हो रही है। समूह द्वारा गौठान में मुर्गीपालन का कार्य किया जा रहा है। मुर्गीपालन में 25 हजार का प्रारंभिक निवेश करते हुए 57 हजार 500 रूपए की आय अर्जित की। समूह ने अब तक मुर्गीपालन करते हुए जो लाभ कमाया उससे परिवार की आर्थिक मदद की।

चारागाह में लहलहाया मक्का
गौठान के चारागाह क्षेत्र में पिछले साल सरस्वती समूह के द्वारा मक्का लगाया गया। समूह की अध्यक्ष श्रीमती अनुसुइया राठौर बताती है कि मक्के की खेती करने से उन्हें लाभ हुआ है। शुरूआत में जरूर लगा कि उनका समूह यह कर पाएगा कि नहीं, पर करना है तो करना है कि सोच लिये समूह ने कार्य शुरू कर दिया। समूह ने मक्का घास एवं मक्का का उत्पादन करने में 10 हजार रूपए लगाए और मेहनत करते हुए 32 हजार रूपए का लाभ प्राप्त किया।

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