नेशनल न्यूज़। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) को अगले 10 वर्षों के लिए वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन (WFME) से मान्यता मिल गई है। एनएमसी की स्थापना के चार वर्ष के भीतर ही वैश्विक स्तर पर मिली इस उपलब्धि से देश के मेडिकल छात्रों के साथ-साथ मेडिकल संस्थानों को भी बहुत फायदा होगा। इस संबंध में एनएमसी के मीडिया डिविजन प्रमुख और एथिक्स मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने NBT से बात भी की। उन्होंने कहा कि एनएमसी ने मेडिकल एजुकेशन में हायर स्टैंडर्ड तय किए हैं और वैश्विक स्तर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जरूरी बदलाव किए हैं। भारत की मेडिकल एजुकेशन और सिस्टम को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली इस मान्यता से भारतीय छात्रों के पास अवसर बढ़ेंगे।
अब भारत में दूसरे देशों से आने वाले छात्रों की भी संख्या बढ़ेगी
मलिक के मुातबिक अब भारतीय छात्र विश्व के किसी भी कोने में जाकर अपना करियर बना सकते हैं, साथ ही अब भारत में दूसरे देशों से आने वाले छात्रों की संख्या में भी इजाफा होगा। वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलने के बाद कई तरह के पॉजिटिव बदलाव आते हैं। अब कई देशों के साथ एमओयू भी साइन होंगे। मलिक ने यह भी कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में इजाफा हुआ है। यही वजह है कि एमबीबीएस और पीजी लेवल पर सीटें भी बढ़ी हैं। रिसर्च के क्षेत्र में भी भारतीय वैज्ञानिकों ने कई कारनामे किए हैं। चाहे कोविड वैक्सीन हो या दूसरे देशों को दवाईयां सप्लाई करने की, भारत ने पूरे विश्व को एक परिवार समझकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिष्ठित मान्यता मेडिकल एजुकेशन में उच्चतम मानकों के प्रति एनएमसी की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
अब भारत में मौजूद सभी 706 मेडिकल कॉलेजों को मिलेगी डब्ल्यूएफएमई से मान्यता
इस फैसले के बाद भारत में सभी 706 मौजूदा मेडिकल कॉलेजों को डब्ल्यूएफएमई से मान्यता प्राप्त हो जाएगी और आने वाले 10 वर्षों में स्थापित होने वाले नए मेडिकल कॉलेजों को स्वतः डब्ल्यूएफएमई से मान्यता पमिल जाएगी। यह मान्यता भारत में मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता और मानकों को विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं और बेंचमार्क के साथ संरेखित करके इसे और ज्यादा बढ़ावा देगी। इस कदम से एमबीबीएस करने वालो को अन्य देशों में पीजी करने और अभ्यास करने में मदद मिलेगी। साथ ही अब अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि से भारतीय मेडिकल कॉलेजों और पेशेवरों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता भी मिल जाएगी।